Naa Inkaar Karti Ho ! Naa Ikraar ..

ना इन्कार करती हो , ना इकरार करती हो
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ना इन्कार करती हो , ना इकरार करती हो
पर है यकीं मुझको तुम मुझसे ही प्यार करती हो ​


मैं तुझको आँखों में क़ैद करता हूँ, तुम निगाहों से वार करती हो
इक मुझको जलाने की खातिर ,गैरों से आँखें चार करती हो
मैं किताब लिखता हूँ , तुम बस शब्द दो-चार पढ़ती हो
मिलना जो मैं चाहूँ , तो बस रविवार कहती हो
मैं सौ बार कहता हूँ, तुम एक बार सुनती हो
कि है ये पता मुझको  , सपने मेरे ही तुम दिन रात बुनती हो
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......... ऐ "नीरज" ......
इतने चक्कर काटे  -​  ​
इतने चक्कर काटे
तेरे घर के  कि " लटटू " हो गए
कहते हैं लोग की हम इश्क़ में " निखट्टू " हो गए.....!!!
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भुजंग चन्दन से लिपटे है तो ये बंधन निराला है
कि जब -जब मैं बहका हूँ बस तूने सँभाला है!
जाम पे जाम छलकते हैं , सुबह और शाम छलकते हैं
नही होती खत्म जहाँ मदिरा , तेरी आँखे वो मधुशाला हैं ...!!!

ना इन्कार करती हो , ना इकरार करती हो
पर है यकीं मुझको तुम मुझसे ही प्यार करती हो ​
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_______________________नीरज "फ़ैज़ाबादी"
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